Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -08-Feb-2023 ममता की पुकार

सिद्धार्थ के पिता का सपना था कि सिद्धार्थ पढ़ लिखकर कामयाब आदमी बने। लेकिन उनके गांव से हाईस्कूल 12 किलोमीटर दूर था। इसलिए सिद्धार्थ के पिता सिद्धार्थ को उसकी बड़ी बहन और जीजा के पास शहर में पढ़ने भेज देते हैं।


 सिद्धार्थ की मां सावित्री से अपने बेटे की जुदाई बर्दाश्त नहीं होती थी, इसलिए वह महीने में एक बार अपने बेटे से मिलने अपनी बेटी और दामाद के पास शहर जरूर जाती थी‌। जिस दिन सिद्धार्थ अपनी पढ़ाई पूरी करके अपने गांव आने वाला था, उस दिन सावित्री अपने बेटे के आने के इंतजार में गांव के बड़े रोड पर तेज गर्मी लू मे घंटों बैठी रही थी। और एक सप्ताह तक गर्मी लू लगने की वजह से बीमार  रही थी और जब मुंबई शहर में सिद्धार्थ की नौकरी लग जाती है, तो गांव में लड्डू बांटते बांटते खुशी में इतनी पागल हो गई थी कि एक गहरे गड्ढे में पैर जाने की वजह से उसके एक पैर में मोच आ गई थी। सिद्धार्थ की शादी के समय तो सावित्री ने सिद्धार्थ की शादी की पूरी जिम्मेदारी जबरदस्ती अपने ऊपर ले ली थी जैसे हलवाई को खाना पकाने का सम्मान देने की, रिश्तेदारों के सोने खाने का इंतजाम करने,  बरात आने के बाद बहू को कौन सा कमरा देना है। टेंट कुर्सियों टेबल सजावट आदि के सामान की।

 सिद्धार्थ अपनी बड़ी बहन और जीजा को अपने माता-पिता जैसे मान सम्मान देता था और उनसे प्यार करता था।

 मुंबई में सिद्धार्थ की एक बहुत बड़ी नामी कंपनी में उच्च पद पर नौकरी लग जाती है। लेकिन उसे रहने के लिए बड़ी मुश्किलों से एक कमरे का किराया पर मकान मिलता है। वह कमरा दोनों पति-पत्नी के गुजारे के लिए ठीक था लेकिन पिताजी का स्वर्गवास होने के बाद गांव में सिद्धार्थ की मां सावित्री अकेली रह गई थी। सिद्धार्थ अपनी पत्नी से दिलों जान से प्रेम करता था और महत्वपूर्ण फैसलों में पत्नी से सलाह लेता था। 

वह अपनी पत्नी से कहता है कि "तरक्की के बाद मेरी सैलरी भी बढ़ गई है। और पिताजी के स्वर्गवास के बाद गांव में मां अकेली रह गई है। इसलिए मैं सोच रहा हूं दो कमरे का मकान किराए पर लेकर मां को गांव से ले आऊं।" सिद्धार्थ की पत्नी साफ मना कर देती है। और सिद्धार्थ से कहती है कि "मां को गांव की शुद्ध और खुली हवा में रहने दो।" पत्नी का जवाब सुनकर सिद्धार्थ चुप हो जाता है। सिद्धार्थ कई बार अपनी पत्नी से यह सवाल कर चुका था लेकिन उसकी पत्नी हमेशा मां को मुंबई लाने के लिए मना कर देती थी।

 एक रात टीवी पर यह खबर सुनकर कि उसकी कंपनी कर्जा ना वापस करने की वजह से सील कर दी गई है। उसके पैरों के नीचे से जमीन निकल जाती है। नौकरी छूटने के बाद सिद्धार्थ अपनी पत्नी के साथ अपने गांव मे मां के पास रहने आ जाता है। सिद्धार्थ बचपन से ही शहर में ज्यादा रहा था और पढ़ा लिखा था शरीर से नाजुक था। इसलिए वह गांव में कड़ा परिश्रम नहीं कर पाता था।

 धीरे-धीरे उसकी जमा पूंजी खत्म होने लगती है। वह गांव के पास जो कस्बा था वहां अपना नया बिजनेस शुरू करने की विचार करता है। उसकी पत्नी भी उसके इस विचार से खुश हो जाती है। बिजनेस के लिए बहुत से धन की आवश्यकता थी। इसलिए वह धन की मदद मांगने अपनी बहन और जीजा के पास जाता है। उसके जीजा और बहन के पास पैसे होने के बावजूद वह अपने खर्चे बताकर सिद्धार्थ को कर्जा देने से मना कर देते हैं। वह गांव के चाचा ताऊ मुंह बोले भाइयों मित्रों से सबसे उधार पैसे मांगता है पर कोई भी उसे उधार पैसे नहीं देता है।

सिद्धार्थ की असफलता को देख उसकी पत्नी भी अपने मायके चली जाती है। चारों तरफ से निराश होकर वह एक दिन अपना कमरा बंद करके सुबह से रात तक बिना खाए पिए अकेला बेड पर लेटा रहता है। तो सिद्धार्थ की मां को जब यह पता चलता है कि सिद्धार्थ ने सुबह से खाना नहीं खाया तो वह बेचैन होकर सिद्धार्थ को खाना खिलाने उसके कमरे में जाती है। जब उसे सिद्धार्थ की परेशानी का कारण पता चलता है तो वह सिद्धार्थ के कमरे में उसका खाना रख कर जल्दी से अपने कमरे से छोटा सा  बक्सा लेकर आती है।

 और सिद्धार्थ के सामने अपनी शादी की पुरानी यादों के सारे सोने-चांदी के जेवर रख देती है। मां के जेवर गिरवी रखकर सिद्धार्थ अपना बिजनेस शुरू कर देता है। बिजनेस में कामयाबी मिलने के बाद उसकी पत्नी भी सिद्धार्थ के पास आ जाती है।

 बिजनेस में कामयाबी मिलने के बाद सिद्धार्थ अपनी मां के जन्मदिन पर मंदिर में पूजा करके बहुत बड़ी पार्टी करता है। और अपनी बहन जीजा पत्नी सब रिश्तेदारों और आस पड़ोसियों के सामने कहता है कि "भाई-बहन पति-पत्नी मित्र सगे संबंधियों आस पड़ोसियों के मन में तुम्हारे लिए क्या भावना है समझना असंभव है। और वह संकट में तुम्हारे साथ कितनी देर खड़े रह सकते हैं यह भी समझना नामुमकिन है और कभी कभी पिता को भी समझना मुश्किल हो जाता है। लेकिन मां का दिल अपनी संतान के लिए खुली खिड़की की तरह है, जब बच्चा मां के दिल की खुली खिड़की से मां के दिल में झांक कर देखता है तो उसे सिर्फ अपने लिए प्यार और ममता साफ दिखाई देती है। मां के लिए कामयाब नाकामयाब सुंदर बदसूरत बुद्धिमान मूर्ख कैसी भी संतान हो  मां के लिए प्रिय है।"

 और फिर मां के जेवर जो उसने बिजनेस के लिए गिरवी रखे थे छुड़वा कर मां को देता है। फिर मां के पैर छूकर अपनी मां के गले लग जाता है। 

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6 Comments

Gunjan Kamal

09-Feb-2023 07:02 PM

👌👌👌

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अदिति झा

09-Feb-2023 03:02 PM

Nic

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Punam verma

09-Feb-2023 08:44 AM

Very nice

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